धार खोते शब्द
धार खोते शब्द
आज दिल के दर्द को
आवाज़ देने के लिए
कुछ लिखना शुरू किया
लेकिन यह क्या हुआ ?
शब्द ही नही मिल रहे है
शब्द जैसे कही खो गए हो
आसपास संवेदना और
भावनाएँ ही दिख रही थी
कहीं शब्द और अल्फाज
दोनो छिप तो नहीं गए ?
मैंने झट कमरे में इधर उधर
नजरें दौड़ाई थोड़ा सुकून मिला
किताबों की अलमारी दिखी
लगा अब तो बहुत से
शब्द मिल गये है
लेकिन हैरान हो गयी मैं
शब्दों के इनकार से
मेरी चुभती निगाहों में सवाल देख
शब्द और अल्फाज कहने लगे
जब तुम मेरा दुख तेरा दुख कहते हो
हमारा दिल भी रेज़ा रेज़ा होता है
हमारा मन भी जार जार रोता है
हथनी के दुख में पूरे देश को रोते देख
इसी सहिष्णुता पर गर्व करती है
पूरी दुनिया
लेकिन यही सहिष्णुता चेहरा छुपा लेती है अपना
जब इंसान को जानवर से
कम आँकती है तुम्हारी संवेदना
और तुम्हारी सोच
जब इंसानियत को नकार देती है
और जश्न मनाती है अपनी
उच्चवर्णीयता का
और उसी ढीठता से दुनिया भर में
गौरवगान करती रहती है
हमारी धार अब नहीं रही
तुम जानते हो जब हथियार का
उपयोग नहीं होता है
वे अपनी धार खो देते है......