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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy Classics Crime

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Dr. Vijay Laxmi"अनाम अपराजिता "

Tragedy Classics Crime

देवदासियाँ

देवदासियाँ

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बेटियों को धर्मास्था के नाम वेश्यावृत्ति की भेंट चढ़ाया।

धर्म से न था कोई लेना-देना ऐसा पाखंड जाल फैलाया।


समाजिक, पारिवारिक दे दबाव, मजबूरी का लाभ उठाया।

कालिदास के मेघदूत, पुराणों में है इनका वर्णन आया।


देवदासी परम्परा 6वीं शताब्दी में भारत थी आई।

कर्नाटक बेलगाम में देवी यलम्मा मंदिर है इसकी गवाही।


प्राचीनकाल में धार्मिक स्थल में स्वेच्छा से कर समर्पित

देवाराधना, सेवा लग्न से कर भक्ति भाव लीन अर्पित।


संगीत का पठन-पाठन, उत्सव, शास्त्रीय नृत्य की आराधना।

आजन्म रह ब्रह्मचारिणी, खुश हो करती जीवन साधना।


धर्म के ठेकेदारों ने पंडे पुजारियों ने ईश्वर खुशी का दे वास्ता।

हवस का बना शिकार, भगवान से संपर्क का बता रास्ता।


भोली-भाली, गरीब, निरीह जनता को कुचक्र में फ़ंसाया। 

माघ पूर्णिमा दिन किशोरियों को जाता देवदासी बनाया।


देव सेवा, नाम पर देहव्यापार का कितना घिनौना काम।

चीत्कारों, सिसकती आहों से गूंजते मंदिर के हर धाम।


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