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Lokanath Rath

Action Classics Inspirational

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Lokanath Rath

Action Classics Inspirational

देश की सिपाही.....

देश की सिपाही.....

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देखो देखो मेरे देश के नौजवानों,

बूढ़े बच्चे किसान और माँ बहनों।


सीमा पर खड़े हमारे वीर जवानों,

देश उनको सबसे प्यारा, ये जानो।


छोड़ के अपनी सारे घर संसार,

माँ बाप पत्नी बच्चों का प्यार।


यार दोस्तों की वो मस्त मेहफिल,

एक दूसरे का बांहों का मेल।


अपनी शहर और वो सारे गलियां

जहाँ था हर रोज आना जाना।


ये सब छोड़ वो चला है,

ये देश की सिपाही बना है।


जब घर छोड़ वो चले चला,

माँ की गले वो तो मिला।


माँ की आंखे जब भर आई,

उसने फिर वो सब बात कही।


बोला, तू तो मेरी प्यारी माँ,

कहेती थी ये देश तेरी माँ।


कसम तेरी मे लेता हूँ माँ,

लढ़ूंगा देश के लिए मे माँ।


ये देश है तेरी और सबकी,

रखूँगा सदा ऊँचा मान मे इसकी।


फिर जब पत्नी ने टिका लगाई,

और तब बिछड़ने की बेला आई।


आँशु भरे आँख से वो बोला,

सबकी ख्याल रखना तू,होगा भला।


फिर निकलते ही दोस्त सब मिले,

सबको हसके वो लगाया अपने गले।


जाते जाते वो सबको बोल गया,

अब वो इस देश के हुआ।


बोला जितके वो जरूर लौट आएगा,

नहीं तो इस मिट्टीमे मिल जाएगा।


जब मिट्टी मे उसका खून मिलेगा,

कुछ नदियों के साथ तो बहेगा।


कुछ तो मिलेगा यहाँ खेतो मे,

खिलेगा वो यहाँ सारे फसलो मे।


वो तो बना इस देश के,

चला वो शरपे कफन बाँध के।


अब वो देश का एक सिपाही,

दुश्मनो को देगा वो धूल चटाई।


इस देश की त्रिरंगा ऊँचा रहेगा,

सीमा पर भी वो सदा लहराएगा।


ये है एक सिपाही का पण,

जन पे खेलके रखेगा देशका मान।


अब मेरे देश के जन गण,

चलो करें उन सिपाहियों को नमन।


ये है मेरे देश के सिपाही,

जिसने देश रक्षा की कसम खाई।


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