डर लगता है..!
डर लगता है..!
आज भी डर लगता है
अंधेरे से नहीं
ना ही तुमको खो देने का
तन्हाई से तो बिल्कुल नहीं..!
हां डर तो लगता है...
डर लगता है भीड़ से
नकाबपोश सभ्य समाज से
और..
डर लगता है उन भेड़ियों से
जो बैठे हैं हमारे बीच अपनेपन का स्वांग करते हुए..!
