डोर
डोर
प्यार एक ऐसी डोर जिससे बँध सब खिंचे चले आते हैं
राग द्वेष से परे इक नई दुनिया बसाते हैं।
रिश्ता चाहे कोई भी हो, डोर अगर प्यार व विश्वास की है
तो रिश्ता वह अविरल भाव बहता चला जाता है।
प्रयास केवल यही रहे न टूटे, न गाँठ पड़े इस डोर में
नीरस जीवन हो जाएगा कभी ऐसा कुृछ हुआ इसमें।
प्यार, स्नेह, मोहब्बत, विश्वास की डोर ऊँचाई तक जाती
जहाँ पहुँच कर, किसी पेच व कटने का डर नहीं पाती।