डे-जीरो
डे-जीरो
कुँए-बावड़ी खाली हो चुके
नदियाँ-झरने अस्तित्व खो चुके
हम खुद अपने लिए मुसीबत बो चुके
जागे हैं हम फिर भी के जैसे सो चुके।
सोचो के हम कैसे आसार पर हैं
हम 'डे-जीरो' की कगार पर हैं।
धरती के स्तनों से जल उतर गया
इंसानी आँखों का पानी मर गया
शुद्ध जल यादों से बिसर गया
वक्त भी अब भविष्य से डर गया।
समझो हम कैसे चढ़ाव-उतार पर हैं
हम 'डे-जीरो' की कगार पर हैं।
सुन सको तो सुनो कहानी
कहता पानी खुद की जुबानी
पीने का बहुत कम है पानी
निर्मल जल की हुई कुर्बानी।
बताता है वो हम किस आधार पर हैं
हम 'डे-जीरो' के कगार पर हैं।
अब भी वक्त को मत निकालो
जिम्मेदारी का बीड़ा उठा लो
आने वाली नस्लों को सम्भालो
कुछ तो उनके लिए बचा लो।
जाने हम और किस,इन्तजार पर हैं
हम 'डे-जीरो' की कगार पर हैं।
