आखिर कब तक
आखिर कब तक
कैनवास पर उकेरी हुई आकृति या
मात्र शब्दों में ढ़ली महानता,,,,,,
इससे अधिक क्या हूँ मैं????
गर्भ में चिन्हित की जाने कोशिशें और फिर भ्रूण हत्या के प्रयास,,,,,
देवी बना कर पूजना फिर
बलात्कार करके निर्ममता से हत्या,,,,,,
आखिर कब तक??????
एक चुटकी सिंदूर से बनीं सुहागन सिर्फ
एक खिताब की तरह,,,,,,,
इसकी तह में वेदना, प्रताड़ना का अंतहीन सफर••••••
आखिर कब तक???????
वैधव्य की कीमत चुकानी पड़ती है
अरमानों की आहुति देकर,,,,
बन जाती हूँ एक ही क्षण में अमांगलिक
ये रिवाजों के बोझ ••••••••
आखिर कब तक?????
मेरी काया और वस्त्रों से आंकलन किया
जाता है मेरे चरित्र का,,,,,
कितनी विचित्र है समाज की सोच
मर्यादा के तमाम सिद्धांत और उसूल
सिर्फ मेरे लिए •••••
आखिर कब तक??????
माता के रूप में अपने ही रक्त से सिंचित
संतति से मात खाने की पीड़ा,,,,,,
निशक्त डगमगाते कदमों से
वृद्धाश्रम तक का सफर •••••
आखिर कब तक?????
महिला सशक्तिकरण के बुलंद नारे
बड़ी-बड़ी योजनाओं के भारी-भरकम
पुलिंदों के बीच,,,,,,,
सिसकती, घुटती मेरी अन्तरात्मा •••
आखिर कब तक????