एक गुजारिश
एक गुजारिश
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सुनो, दिल के तहखाने में
कुछ अरमान कैद कर दिए हैं मैंने
तुम छुड़ाना नहीं,,,,,
कुछ टूटे सपने बिखरे पड़े हैं
चुभ जाएंगे तुम्हें
उधर जाना नहीं,,,,,
कुछ उमंगें थीं, थपकियां देकर
सुला दिया था किंतु गहरी नींद में नहीं
तुम उन्हें जगाना नहीं,,,,,,
स्मृतियों के दर्पण पर धूल की
पर्त जम गई है,जमी रहने दो
तुम हटाना नहीं,,,,,,
इक झरोखा था,आशा की किरण
आती-जाती थी,,,
अब अंधेरा है, दीप उम्मीद का कभी
तुम जलाना नहीं,,,,,,
तन्हाइयां बड़ वफादार होतीं हैं
उनसे दोस्ती कर ली मैंने,शांत लहरों मे
प्यार की कश्ती अब चलाना नहीं!!!!!!