डायरी एक प्यारा दोस्त
डायरी एक प्यारा दोस्त
अकेलेपन का अहसास नहीं होने देती मुझे मेरी डायरी,
हलक में अटके मेरे हर अनकहे अहसासों का सरमाया है मेरी डायरी,
मेरी रोज़निशी की एक-एक क्रिया का हिसाब है मेरी डायरी..
हर पन्नों पर उकेरे मेरे स्पंदनों को प्रतिबिंबित
करता आईना है मेरी डायरी,
तन्हाई के पलों में पढ़ती हूँ जब आधी रात को
खोलकर तब गले लगाते दोस्त सी महसूस होती है डायरी..
मेरे विचारों को प्रतिक्रिया देते शब्दों का
सफ़र तय करने में मेरे हमसफ़र सी है डायरी,
ख़याल जब अश्कों का रुप लेने पर विवश होते है
तब रोने नहीं देती मुझे डायरी अपना सीना खोलकर
मुझे अपनी आगोश में लेती है डायरी..
कहती है मुझे मेरी डायरी मत खोल अपना मन ज़िंदा इंसानों के आगे
जिनको समझमें नहीं आते तेरे अहसास,
बेजान भले रही मैं उड़ेल दे तेरे हर अहसास की है
मुझे बखूबी पहचान, तेरा ही तो अक्स हूँ यह कहती है मुझे मेरी डायरी।