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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Action Inspirational

दाने - दाने के मोहताज़

दाने - दाने के मोहताज़

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भाँग पीकर शासन में बैठे चला रहें ये तथाकथित अधिकारीगण राज- काज !

सब कुछ होते हुए भी देश की हालत हो गई क्या आज?

विकास और बदलाव की लंबी डींगें हाँकते ये बेशर्म नेता आज !

तो फिर साहब! देश की एक बहुत बड़ी आबादी हाशिये पे क्यों है आज ?

क्यों न उन्हें मिल पा रहा पेटभर भी अनाज?

कहीं अनाज बोरी के बोरी सड़ रहा !

कोई दाने- दाने के लिए आज भी है मोहताज !

घर में कई दिनों तक चूल्हा न जला जब है ना दाना - पानी !

मगर अफसोस! अखबार के पन्नों छ्प रही रोज विकास की एक नई कहानी !

जहाँ पे निहायत तकाजा है पहुँच न रही उन तक उनकी आवाज। 

क्यों बहरे बने हुए हैं ये सत्ता के सौदागर?

हद होती है बेशर्मी की भी न जाने कितने बेरहम हो गए हैं ये आज ???


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