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Zubina Anjum

Romance

4  

Zubina Anjum

Romance

चुटकी भर सिंदूर

चुटकी भर सिंदूर

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 तुने हर पल साथ निभाया,

तुने हर कदम पर अपनाया।

सारा अधिकार मिला मुझको,

सिर्फ उधार रही चुटकी भर सिंदूर। 


जब धूप मिला तो , छाया बन आया।

जब गिरी मैं, तो मुझे प्रेम से उठाया।

सारा अधिकार मिला मुझको,

सिर्फ उधार रही चुटकी भर सिंदूर।


मैं रूठी तो मुझे मनाया,

मैं रोई तो गले लगाया।

दूर गई तो पास बुलाया।

हर मान दिया, बड़ा सम्मान दिया।


फिर भी अधुरी रह गई मैं,

जो ना मिला तेरे हाथ से चुटकी भर सिंदूर।

मेरी खुशियों के लिए हर दर्द उठाया,

हर रोज़ जीने की नई उम्मीद जगाया।


सब कुछ मिला मुझको,

हर एक अधिकार पाया तुझसे।

बस रह गया उधार तुझ पर,

चुटकी भर सिंदूर।


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