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Zubina Anjum

Tragedy

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Zubina Anjum

Tragedy

मैं देश का बेटा हूँ

मैं देश का बेटा हूँ

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हर वक़्त तुम सबको याद करता हूँ , 

साथियों से भी तुम्हारी बात करता हूँ , 

बहुत दूर हूँ मैं,मगर मैं आ नहीं सकता बहुत मजबूर हूँ मैं। 

मुझे मालूम है कि मैं तुम्हारी यादों में रहता हूँ , 

तुम्हारे ख्वाबों में बसता हूँ, मगर मैं आ नहीं सकता

बहुत मजबूर हूँ मैं। 


कभी दिवाली की रौशनी में, 

कभी होली के रंगो में, 

तुम सब को देख कर मैं, 

ख़ुद को रोक नहीं पाता, कदम को टोक नहीं पाता ,

मगर मैं आ नहीं सकता बहुत मजबूर हूँ मैं। 


कभी तन्हाई में, किसी परछाई में तुम सब को ढूँढता हूँ , 

मगर मैं आ नही सकता, बहुत दूर हूँ मैं। 

हमारा भी मन करता है माँ तेरी गोद में सोने का,

तुम्हारे पास रोने का, तेरी ममता में खोने का ,

मगर मैं आ नहीं सकता बहुत मजबूर हूँ मैं,

आ नहीं सकता क्योंकि मैं का बेटा, हां मैं बैठा हूं।


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