चुनाव लड़ना होगा
चुनाव लड़ना होगा
पार्षद, विधायक, सांसद
ऐसे सारे चुनाव कब होंगे
इसका हम बेसब्री से इंतजार करते हैं,
क्योंकि रोज की कमाई से ज्यादा
चुनाव के दौरान
प्रचार, अभियान के माध्यम से
हम दो पैसा ज्यादा कमा लेते हैं।
हमारा कोई दायित्व नहीं
सरकार किसकी आनी चाहिए
और कौन विपक्षमें होना चाहिए
क्योंकि यहाँ हम हर दिन
संघर्ष करते हैं।
एक वक़्त के भोजन के लिए
इसीलिए हम सोचते हैं
साल में ११ महीने चुनाव होना चाहिए
भोजन मिलता है एक वक्त
वो दो वक्त मिलना चाहिए।
बूथ अध्यक्ष, वार्ड अध्यक्ष
अधिकांश तालुका अध्यक्ष
इस पद को पाने के लिए
हम अपनी सारी जिंदगी बिताते हैं।
और हमारा नेता
अपने बेटे को नगरसेवक,
विधायक, सांसद
कैसे बनाया जाये
इसीलिए हम वो पद देते हैं
गुलामों की तरह हमसे
बर्ताव करते हैं।
साहब चुनाव में खड़े हो जाये
तो साहब की हम जय-जयकार करते हैं
साहब का बेटा खड़ा हो जाये
तो बेटे की जय-जयकार करते
हम उन्हें सत्ता में रखते हैं।
लेकिन सत्ता के हम सच्चे हकदार मात्र
एक बड़ा पद पाने की चाहत में
खुद की ज़िंदगी बर्बाद करते हैं
जिनके पास लाखों, करोड़ों की संपत्ति है
ऐसें नेता समय देखकर
अपना रास्ता बदलते हैं
अपना हेतु साध्य कर लेते हैं,
और हजार रुपये की मजदूरी
करने वाले लोग
अपनी काबिलियत साबित करने के लिये
अपनों से ही दुश्मनी कर लेते हैं।
यह सालों से चलते आ रहा है
अब ऐसा नहीं होना चाहिए
इसमें हमें बदलाव लाना होगा
समाज में क्रांति लानी होगी
तो हमें विद्रोह करना होगा।
हम नामर्द नहीं,
बल्कि भारतीय नागरिक है
यह हमें उन्हें बताना होगा
वे बन गए पार्षद,
विधायक, सांसद,
हमें महापौर,
मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बनके
उसने सिर पे बैठना होगा
ये सब करने के लिये
हमें चुनाव लड़ना होगा।।
