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Prakash Wankhede

Inspirational

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Prakash Wankhede

Inspirational

हमें जीना होगा

हमें जीना होगा

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किताबों से अब बाहर आना होगा

सच क्या है आँखों से देखना होगा।


चार दीवार तो जेल है जिन्दगी की

खुले आसमान को यारो छूना होगा।


भाई-भाई झगड़ते हैं जायदाद के लिये

दुनिया का रिवाज उन्हें बताना होगा।


अभी भी खामोशियाँ है मैख़ाने में

वहाँ भी संगीत हमें बजाना होगा।


क्यूँ उलझ रहे हो तुम जात-पात पे

इंसान बन के अब हमें जीना होगा।।


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