हमें जीना होगा
हमें जीना होगा
किताबों से अब बाहर आना होगा
सच क्या है आँखों से देखना होगा।
चार दीवार तो जेल है जिन्दगी की
खुले आसमान को यारो छूना होगा।
भाई-भाई झगड़ते हैं जायदाद के लिये
दुनिया का रिवाज उन्हें बताना होगा।
अभी भी खामोशियाँ है मैख़ाने में
वहाँ भी संगीत हमें बजाना होगा।
क्यूँ उलझ रहे हो तुम जात-पात पे
इंसान बन के अब हमें जीना होगा।।
