चले आओ
चले आओ
चले आओ कि तेरे बिन ,
कहीं अच्छा नहीं लगता
कि सपने देखती तो हूँ ,
मगर सच्चा नहीं लगता
बहुत कोशिश किया मैनें
कि रह लूँ मैं तुम्हारे बिन ,
मगर तेरे बिना जीना ,
मेरा पक्का नहीं लगता
चलो माना कि ये बंधन,
के धागे हैं अभी कच्चे
चढ़ा पर रंग जो मुझपर ,
तेरा कच्चा नहीं लगता
कि रह रह कर धड़कता ,
दिल तुम्हारे ही लिये मेरा
निगाहों को न जाने क्यों ,
कोई तुम सा नहीं लगता
यूँ तो चाँदनी भी चंद्रमा से
प्यार करती है
मगर सूरज किरण सा ,
कोई भी नाता नहीं लगता ।।