हिन्दी में ही बोलिये
हिन्दी में ही बोलिये
वर्ण - वर्ण का मेल कराकर शब्द - शब्द को तोलिये।
सरल, सुन्दरम्, मधुरम भाषा हिन्दी में ही बोलिये।
संस्कृत है इसकी जननी, और उर्दू सखि समान है।
हिन्दी में ही है सन्निहित, गीता का हर ज्ञान है।
शब्द - अर्थ का भेद बताकर, भेद प्यार से खोलिये।
सरल, सुन्दरम्...............
हिन्दी अपना गौरव गाथा, हिन्दी ही पहचान है।
हिन्दी भाषा ही भारत की आन - बान - शान है।
हर भावों को छन्द बद्ध कर शब्दों में रस घोलिये।
सरल, सुन्दरम्...............
अंग्रेजी हम पढ़ें भले पर, बने नहीं अंग्रेज कभी।
हिन्दी का हक दिलवायेंगे, हम सब यह प्रण करें अभी।
छू लें अम्बर आप भले पर, कभी जमीन मत छोड़िये।
सरल, सुन्दरम्...............
प्यारी, न्यारी हिन्दी भाषा लगती बड़ी सलोनी सी।
आती है मिट्टी की खुशबू, जिसमें भीनी-भीनी सी।
फिर बेमतलब जड़ से कटकर, इधर - उधर मत डोलिये।
सरल, सुन्दरम्...............
करें नहीं अभिमान कभी पर स्वाभिमान जिंदा रखें।
फहरायें हिन्दी का परचम, विश्व गगन में बिना रुके।
अंग्रेजी की सभा में कभी, भले सम्मिलित हो लिये।
सरल, सुन्दरम्...............
