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kiran singh

Others

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kiran singh

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कन्या

कन्या

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कन्या कोई वस्तु नहीं जो

दान में दी जाए

घर घर का मान है

अपमान न की जाए


शील है सौन्दर्य है

वैदिक ऋचा है वह

देवता वन्दन करते

स्वयं वन्दना है वह

सृष्टि है श्रॄंगार है

धीर धरा समान है

चेतना जगती की

जग तीर की कमान है

शक्ति है संघर्ष है

लक्ष्मी की प्रतिमा है वह

ज्ञान बुद्धि दात्री

शारदा महिमा है वह

तुम क्या छलोगे उसे

व्यर्थ प्रवंचना है

तुम क्या दोगे उसे

वह दात्रि कंचना है

सूर्य की किरण है

धूप की छटा है वह

चाँदनी निशा की और

शीतल हवा है वह

मत रोको प्रवाह को

बहने दो नदी की धार है

तारिणी गंगा सी

जगत की पालनहार है



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