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Suchismita Sahoo

Romance

4  

Suchismita Sahoo

Romance

चिट्ठी

चिट्ठी

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मेरे प्रिये

आज खुद को और रोक ना पा के

तुम्हारी चिट्ठी खोल कर पढ़ी

वो तो सिर्फ एक चिट्ठी नहीं थी

थी रंगीन फुलों का गुलदस्ता


मैं खो गयी

उन प्यारे प्यारे फुलों की पंखुडियों में

चूम ली हर शब्द को

अचानक एक अनजान रश्मि से 


मैं खुद को रोक ली

क्यों कि

ये सच है कि

चिट्ठी तुमने लिखी थी

चिट्ठी तुमसे आयी थी

लेकिन वो मेरे लिये नहीं थी


उस चिट्ठी की नायिका मैं नहीं

तब....

फिर से उस चिट्ठी को मोड़ कर

मैं लिफाफे के अंदर रख दी।


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