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Suchismita Sahoo

Abstract

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Suchismita Sahoo

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दिल को भी नेही मालूम

दिल को भी नेही मालूम

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दिल को भी नही मालूम

वो क्यों नाराज है उनसे

क्या उमीद कर रहा है उनसे

क्यों उमीद कर रहा है उनसे

मेरी जिंदगी में

वो सिर्फ कुछ दिन का मेहमान है

वो एक अजनबी थे

और बहुत जल्दी

अजनबी बन जाएंगे

फिर भी क्यों

एक अजनबी रिश्ते केलिए

ऐसा मीठा सा एहसास 

अपनापन का हक दाबी करके

उनके ऊपर ऐसे नाराजगी

वो तो बहुत मासूम है

जिसको बिल्कुल भी

मनाना नही आता है

फिर भी मुझे मनाने का प्रयास करते हैं

परंतु जब दिल को मालूम नहीं

वो क्यों रूठी है उनसे

 तब फिर वो कैसे .........



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