मेरे प्रिये
मेरे प्रिये
कुछ दिनों से मैं
भटक गयी थी
भूल गयी थी कि
आज मैं जो भी हूँ
जहाँ पे भी हूँ
तुम्हारी वजह से हूँ
तुम्हीं मेरा परिचय हो
फिर भी मैं तुम्हें भूलकर
और किसी की बाहों में
खुद को खो बैठी थी
और किसी को अपना रही थी
आज मुझे मेरी गलती का
एहसास हो रहा है
आज समझ रही हूँ
मैं कितनी गलत थी
आज अपनी गलती सुधार के
फिर से आपको अपनाने की
कोशिश कर रही हूँ
ओ मेरी प्रिये।
उम्मीद करती हूँ कि
आप सब कुछ भूल के
मुझे फिर से अपनाएंगे।