STORYMIRROR

रिपुदमन झा "पिनाकी"

Action Inspirational

4  

रिपुदमन झा "पिनाकी"

Action Inspirational

चिराग़

चिराग़

1 min
352

जलते हुए चिराग़ से घर कोई ना जले।

मरघट में गाँव, बस्ती, शहर कोई ना ढले।

करता रहे उजाले फक़त जल के ये चिराग़ -

ज़रिए से इसके ग़म की डगर कोई ना चले।


जो अँधेरों में रौशनी भरे चिराग़ है वो।

जो अमावस को चाँदनी करे चिराग़ है वो।

आख़िरी सांस तक माने न हार जलता रहे-

सबके रौशन जो ज़िन्दगी करे चिराग़ है वो।


चिराग़ जल उठे हैं आज रौशनी के लिए।

सर उठाया है अँधेरों ने सरकशी के लिए।

अपनी किस्मत में लिखा लाए हैं शायद मरना-

इसलिए आ गए हैं आज ख़ुदकुशी के लिए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Action