STORYMIRROR

Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

4.8  

Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

चिंगारी अब भी जीवित है

चिंगारी अब भी जीवित है

1 min
348


क्यों आवाज़ें गुम है कहीं 

बेजुबान हुए हैं ज़ुबान वाले 

क्यों ज़मीन में मीलों तक 

गड़े हुए हैं अंजान इतने 


क्या करें जिस्म का 

जब रूह शरीर छोड़ गई हो 

खुद के ही जाल में उलझ कर 

चेतना भी मुख मोड़ गई हो 


मुख मोड़ चुकी हैं अब फिज़ाएं

तेज़ हुई है तपिश धूप की 

कलियाँ बाग़ की कुचल गई है 

बदला है सृष्टि का स्वरूप भी 


जी रहे हैं सब घुट घुट के 

लम्हा लम्हा अब बोझिल है 

ज़हरीला है सारा आलम 

हर जन इसमें शामिल है 


धरती का कोना कोना देखो 

>

धीमे धीमे पिघल रहा है 

कलयुग ने मुख खोला है अपना 

हौले हौले सब निगल रहा है 


पर चिंगारी अब भी जीवित है 

दिख रही है मानवता कहीं कहीं 

पृथ्वी शायद इसीलिए टिकी हुई है 

धर्म कर्म बचा है थोड़ा अभी भी 


क्यों न फिर से एक नया सफर 

हम सारे मिलकर शुरू करें  

चिंतन करें, ऐसे युग का निर्माण करें 

जन जन जिस पर सदा गुरूर करें


त्याग के गंदे विचार व् लोभ 

अब भी मानवता गर अपना लें 

जीवन में सद्गति आ जाये 

उगेगा सवेरा नया बिन तृष्णा के.....



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational