Sunita Katyal
Drama
मजा आ गया चिम्पांजी
मुझे तो ये आज ही पता चला।
लोग कहते हैं तू तो
इंसानों का करीबी रिश्तेदार है।
जीवन की परेशा...
हवा के साथ बह...
किसी से नहीं ...
हमें क्या
रात ये कह कर ...
जीवन की परिस्...
किस से कहूं
भ्रमित ना हो
लॉक डॉउन और ह...
अकेलापन और लॉ...
नरसंहार का मतलब सिर्फ सामूहिक हत्या नहीं है, विनाश के स्तर तक, नरसंहार का मतलब सिर्फ सामूहिक हत्या नहीं है, विनाश के स्तर तक,
इस बिना शस्त्र के युद्ध में कितने अपने चले गए इस बिना शस्त्र के युद्ध में कितने अपने चले गए
कभी समय मिले तो, घड़ी दो घड़ी, बेटा, मिलने आते रहना। कभी समय मिले तो, घड़ी दो घड़ी, बेटा, मिलने आते रहना।
यद्यपि गाँव की शीतलता बहुत भाती है, पर शिथिलता यहाँ की अखरती है, यद्यपि गाँव की शीतलता बहुत भाती है, पर शिथिलता यहाँ की अखरती है,
बच्चों को अच्छा इन्सान बनाऐंगे। हर परिस्थिति का सामना करना सिखायेंगे। बच्चों को अच्छा इन्सान बनाऐंगे। हर परिस्थिति का सामना करना सिखायेंगे।
क्यूँकि वो नाजायज़ था क्यूँकि वो नाजायज़ था
अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर ! अम्मा क्या गई, कुछ दिनों के वास्ते अपनी अम्मा के घर !
हाँँ ! वो उड़ना चाहती है उड़ना चाहती है गिरना चाहती है गिरकर उठना चाहती है पर वो रुकना नही चाहती, बस व... हाँँ ! वो उड़ना चाहती है उड़ना चाहती है गिरना चाहती है गिरकर उठना चाहती है पर वो र...
ना जाने क्या है जो मुझे जाने नहीं देता, एक एहसास है जो तुमसे दूर होने नहीं देता। ना जाने क्या है जो मुझे जाने नहीं देता, एक एहसास है जो तुमसे दूर होने नहीं द...
कभी अपने घर में और कभी बेटे बहू के घर में। कभी अपने घर में और कभी बेटे बहू के घर में।
और यही सोच रही है कि कितना कुछ पकाया मैंने इस आंच में। और यही सोच रही है कि कितना कुछ पकाया मैंने इस आंच में।
जा एकांत में छोड़ मुझे अभी चला जा, जा एकांत में छोड़ मुझे अभी चला जा।। जा एकांत में छोड़ मुझे अभी चला जा, जा एकांत में छोड़ मुझे अभी चला जा।।
आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।। आज लहू से मन की गाँठें, धीरे-से खोल रहा हूँ।।
या खुदगर्ज बनके किया खुद से ही प्यार क्या मैं वहां गलत थी ? या खुदगर्ज बनके किया खुद से ही प्यार क्या मैं वहां गलत थी ?
पापा तुम्हें कह नहीं पाती, हर शुक्रिया से ज्यादा तुम्हें प्यार करती हूँ। पापा तुम्हें कह नहीं पाती, हर शुक्रिया से ज्यादा तुम्हें प्यार करती हूँ।
माँ की कितनी बात सुनाऊँ, ममता की प्रतिमूर्ति ऐसी, देवी छोटी पड़ जाती है, धरती पे माँ कहलाती है। माँ की कितनी बात सुनाऊँ, ममता की प्रतिमूर्ति ऐसी, देवी छोटी पड़ जाती है, धरती प...
न नारी अबला होती है और न ही औरत लाचार होती है। न नारी अबला होती है और न ही औरत लाचार होती है।
लंका में अग्निकांड भी मैं था लंका में अग्निकांड भी मैं था
इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी। इसीलिए तो वह मेरी बेटी भी है और माँ भी।
आंखों में नीर भी कह रहा ये शहर इतना झूठा क्यों है ? आंखों में नीर भी कह रहा ये शहर इतना झूठा क्यों है ?