किस से कहूं
किस से कहूं
ठहरा सा है विश्व सारा जिंदगी गर मेरी ठहरी,
किससे कहूं देखें थे इन दिनों के लिए
ख्वाब कितने रह गए अधूरे सब वो,
किस से कहूं काम बहुत है,
करने को आज कल फिर भी कटते ना दिन और रात,
किससे कहूं हर कोई हालात का मारा है।
आजकल मै दुखी और परेशान हूं,
किस से कहूं हर इक की उड़ान पर पाबंदी है।
मैं बंद हूं घर में अपने, किस से कहूं हर कोई लड़ रहा है,
जंग जिंदगी की मै इक छोटा सा चिराग
आंधियों से लड़ रही ,किस से कहूं अब उड़ने के लिए
परों की नहीं, हौसलों की जरूरत है जीतनी है ये जंग सुनीता,
मैं खुद से कहूं।