चेतक
चेतक
नाम सुना ही होगा सब ने
वो राडा प्रताप का घोड़ा था
जो हवा से बातें करता था
और आसमान में उड़ता था...!!
वह अश्व बड़ा ही मतवाला
निर्भीकता उसकी चाबी थी
सरपट वो दौड़ लगाता था
देर न तनिक लगाता था....!!
राणा को वो अति प्यारा था
शत्रुओं के मैदानों में वो
बिजली सा घूमा करता था
वो चतुर बड़ा कौशल धारी था....!!
वो जिधर रण में मुड़ जाता था
राणा का भाला उधर फिर जाता था
धरती लहू से भर जाती थी
लाशों का चट्टान लग जाती थी....!!
वो राणा के संग लड़ते-लड़ते
रण में वीरगति को प्राप्त हुआ
ना तोड़ हुआ उसका दूजा
चेतक था उसका नाम पड़ा
वो वीर बड़ा बलशाली था....!
