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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

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अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Tragedy

चौखट तक आ पहुंचा दुश्मन

चौखट तक आ पहुंचा दुश्मन

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हम झेल रहे हैं बोली के बदले देखो गोली,

अब खैर क्या मनायें सरकारें होती जुमली।

चौखट तक आ पहुंचा दुश्मन हमारे घर,

चीखों बीच मुस्करायें हमारे जनगणमन।

घोटाले हुये गठबंधन और सरकारें महंगी बनी,

हमारे देश में राजनीति ही सिर्फ खुद को बनी।

लोग तमाशा करते पब्लिक तमाशा बनती,

आज नहीं कभी नहीं यहां कल को नीति बनती।

हम अभिमानी अभिमान न छोड़े चाहे छूटे जान,

यह जमीं यह वतन रखवाले हिंद हमारी पहचान।

लोगों का क्या वह सब रीति निभाते हैं,

वक्त से पहले सावधानी में कहां बच पाते हैं।



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