चाँदनी रातें
चाँदनी रातें
रोज-रोज नहीं आतीं ,' चांदनी रातें'।
कभी छा जाती बदली, कभी होती बरसातें ।
मिलने को तड़पता होगा, चांद भी,
चांदनी भी आहें भरती होगी।
बहुत इंतजार के बाद, होतीं ये मुलाकातें।
चांद से मिल चांदनी इठलाती है ,
आसमान की सैर कर आती है।
कहती चाँद से, खुशियों में शामिल कर लेते,
प्रेमी जोड़ों की, प्रेम भरी आहें ,
बिखरे चांदनी जीवन में सबके ,
खुशियों में भी शामिल होतीं चाँद की बातें।
चांदनी चांद की है,लगाए न कोई घातें
चांदनी निभाती रिश्तों की सभी रस्में !
ओढ़ चुनर तारों की ,मिलने आई ''चांदनी रातें। ''
अक्श निहारती अपना, धरा के जल में ,
वहीं से देख रहा चाँद भी, पुलकित मन में,
आज चांदनी झूम रही ,धरती और गगन में।