चांदनी रात
चांदनी रात


तुम चांद बन जाओ,
मैं चांदनी बनूंगी ।
फिर छेड़ना तुम तुम मुझे
बादलों के पीछे छुपकर ।
मैं शरमाकर टिमटिमाऊंगी ।
सर्द हवाओं का बहाना बनाकर,
होले से फिर छू लेना मुझे तुम ।
छुप जाऊंगी मैं फिर किसी पेड़ की डाली के पीछे,
लबों से छू लेना मुझे तुम,
दुनिया की नजरो से छुपकर ।
तुम चांद बनना ,
मैं चांदनी बनूंगी ।