चाँद का टुकड़ा..
चाँद का टुकड़ा..
चाँद को निहारते रहना है मेरा पसंदीदा शग़ल
ना जाने क्यूँ करती हूँ ऐसा हैरान सी थी अक़्ल
कि सामने आयी इक परी छोड़ अपना महल
आके बोली ये राज़ खोलने में मैं करूँगी पहल
सुनना ध्यान से ये बात यूँ तो है सदियों पुरानी
पर इसमें ही छिपी है तेरी ज़िंदगी की कहानी
एक उल्का पिंड जब ज़मीन से टकराया था
तो भड़के शोलों ने महा कोहराम मचाया था
हो गये विशालकाय सारे डायनासोर ख़त्म
बचने के अपने किये उन्होंने भी सारे जतन
शक्तिशाली पहाड़ों को भी रेजा़ रेज़ा कर दिया
पहाड़ के एक टुकड़े को शोलों ने अलग किया
वो टुकड़ा छिटककर दूर ब्रह्मांड में निकल गया
था चाँद जमीन से नज़दीक वो उसके लग गया
नन्हे टुकड़े की चाँद से टक्कर हुई थी ज़ोरदार
टूटा चाँद का एक टुकड़ा नहीं था वो खबरदार
खींचा जमीन की कशिश ने उसे अपनी ओर
चाँद के टुकड़े ने देखा ज्यूं ही जमीन का छोर
घबरा के चिल्लाकर उसने फिर रब को पुकारा
मैं चाँद का टुकड़ा जमीन पे कैसे करूँ गुजारा
रोते हुए टुकड़े को रब ने बड़े प्यार से सम्भाला
कारीगरी दिखा अपनी उसने तुझे बना डाला
निहारे तू उसे यूँ ही तू है क्यूँकी उसका हिस्सा
चली मैं अपने घर को बता दिया सारा कि़स्सा
नूर उठो कॉफी है आयी कहकर माँ ने जगाया
देखा नींद कुर्सी पे आई गहरी माँ ने जो उठाया
आसमान पर हौले हौले चाँद मुस्करा रहा था
अपने रौशन ओ मुनव्वर नूर पे इतरा रहा था
बता के चाँद का टुकड़ा परी ने क्या उधम मचा डाला
हाय रब्बाsss तूने मुझे ये कैसा ख़्वाब दिखा डाला
