STORYMIRROR

Varsha Divakar

Comedy Action Others

4  

Varsha Divakar

Comedy Action Others

इजाजत

इजाजत

1 min
383

जमाने की सारी रौनक से कहीं दूर

पुस्तकों से भरे रूम को ही अपनी दुनिया बना बैठी हूँ


पुस्तकों से बनी मेरे चारों तरफ दीवार


कभी इजाजत ही नहीं देता.... इस चमक


दमक से भरी दुनिया में रहने का...


हैं सपने बहुत खास मेरे ..... ये सपने मेरे


इजाजत नहीं देते ... ये हकीकत से भरी


दुनिया में रहने का.......


है पाना बस एक छोटे से पोस्ट की कुर्सी


उस कुर्सी को पाने का कर्ज मैं चुकाये जा रही हूँ


खुद को समेटें बस एक रूम में


पुस्तकों से सजी एक छोटी सी दुनिया है मेरी


बड़े शांत और सपनो को पूरा करने की हिम्मत


इन प्यारे पुस्तकों से मिल जाया करती है


समय इजाजत तो नहीं देते..... सारे सपनो को


एक उम्र मे ही पूरा करने का


करियर को संवारते आधी उम्र निकल जाया करती हैं


जब तक सफल ना हो जाये तब तक


सपने रंग बिरंगे फूलों से सजे कोई हँसी वादियों का सफर


करने का इजाजत कहाँ देता है ......


हम बेखबर इस जमाने से


बस पुस्तकों से नाता हमारा हैं


नींद आये जो हमे पुस्तक को गले लगा सो जाया करते हैं


ये बड़े बड़े सपने मां के गोद में


सोने की इजाजत कहाँ देता है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Comedy