धीमी गति बनाये रखो वरना हो सकती है टक्कर धीमी गति बनाये रखो वरना हो सकती है टक्कर
दुनिया भर की रस्में भी वो सारी निभाती है, माँ न जाने ये सब कैसे कर पाती है दुनिया भर की रस्में भी वो सारी निभाती है, माँ न जाने ये सब कैसे कर पाती है
जिंदगी एक कूड़ा घर है रोशनी का घर नहीं है। जिंदगी एक कूड़ा घर है रोशनी का घर नहीं है।
वतनपरस्ती के जज्बे में देश पर कुर्बानी को कैसे भूलेगी। वतनपरस्ती के जज्बे में देश पर कुर्बानी को कैसे भूलेगी।
अब तो सीधी रोड़ में भी है टक्कर सफर के मुसाफिर। अब तो सीधी रोड़ में भी है टक्कर सफर के मुसाफिर।
किसी से टक्कर हो जाए, मिला दुःख अन्त तक का। किसी से टक्कर हो जाए, मिला दुःख अन्त तक का।