रोशनी का घर नहीं है
रोशनी का घर नहीं है
कैसे उड़ने पाएगा वो
पंछी जिसके पर नहीं है
जिंदगी एक कूड़ा घर है
रोशनी का घर नहीं है
कैसा परहित हमको भाता
फोटो तो खिंचवाएंगे
हों जरूरी चीजें कम तो
ब्लैक कर सुख पाएंगे
बांटने में चेहरे देखें
क्या इसे इंसाफ मानें
थोड़ा भी अवसर जो पाते
और बढ़ जाते खजानें
बैठा हो मानव में रब अब
दूर तक मंजर नहीं है
जिंदगी एक कूड़ाघर है
रोशनी का घर नहीं है
अपनी कुर्सी इतनी प्यारी
रौंदते सद्भाव को हम
हम सितम करते न चूकेंगे
हो साधारण या निर्मम
हमने चौकीदारी ली है
पर बपोती मान करके
जाएंगे धनिकों को सारा
देश ये परिदान करके
जनता कोई मूर्ख है क्या
दिल कोई पत्थर नहीं है
जिंदगी एक कूडा घर है
रोशनी का घर नहीं है
हों अगर रिसाईकल चीजें
तो उपयोगी हों फिर से
पा लें सदगुरु की कृपा तो
हम निकल जाएं तिमिर से
मानकर बेकार निष्कासित
जिसे कर दिया है घर से
फिर वो ही परमार्थ धारें
तो बचा पाएं कहर से
"अनन्त" टक्कर लेती हैं ये
नेकियों को डर नहीं है
जिंदगी एक कूड़ा घर है
रोशनी का घर नहीं है।
