चाल चलन
चाल चलन
नीची निगाहें सीधी चाल,
यही बतलाया गया,
हम महिलाओं को हमारा गहना।
चलन है समझा जाता पुरुषों का,
चौराहों पर खड़े हो, महिलाओं को कुछ भी कहना।
पर अब हम स्त्रियाँ अपनी चाल के साथ
ये चलन भी बदल डालेंगी।
ऊँची उठी निगाहों से पुरुषों के इरादों का
कत्ल कर डालेंगी।
बहुत हुआ पुरुषों का अब, यूँ मनमानी करना।
खुद के विचारों पर अंकुश न लगा,
महिलाओं को पर्दे में रखना।
चाल चलन अब कुछ हम,
पुरुषों को भी सिखायेंगे।
अकेली औरत खुली तिजोरी नहीं,
ये अच्छे से उन्हें समझायेंगे।
महिलाओं की तरह न सही,
पर विचारों का पर्दा तो अब हम
उनसे भी करवायेंगे।
