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Govind Narayan Sharma

Fantasy

4  

Govind Narayan Sharma

Fantasy

चाहत

चाहत

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चाहत केरा बीज की, बड़ी अनूठी रीत !

नैन नीर सूँ पल्लवे, मन की मन से प्रीत !!


बीज मिले जो प्रेम का, सब जग दूँ छिड़काय !

फ़सल न उपजे प्रीत की, प्रेम न कहीं बिकाय !!


नैनन मग पिय आय के, हृदय कियौ जब वास !

भूख-प्यास सब मिट गई, पिय लागे बस ख़ास !!


सात सुरों के मेल से, बजता ज्यूँ संगीत !

उर तंत्री के नाद से, झूमें मन जब प्रीत !!


जीवन वारूँ उस घड़ी, पिय -दरशन जब होय !

जीवन लगता व्यर्थ ही, सम्मुख पिया न तोय !!


प्रेम-आग जब मन लगे, हाल बुरा तब होय !

लाख जतन सब जन करे, रोक सके ना कोय !!



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