चाह!
चाह!
अधर तेरे जलते
दिये से;
लफ्ज़ तेरे जलती
बाती से;
मुस्कान तेरी उसकी
लौ सी;
इन्हे निहारूँ तो छूने
की चाह;
छु लूँ तो चुम लेने
की चाह;
चुम लूँ तो जल जाने
की चाह;
जलने लगूँ तो फ़नाह
होने की चाह;
फ़नाह हो जाऊँ तो फिर से
मिलने की चाह;
अधर तेरे जलते
दिये से!