STORYMIRROR

Ritu Sama

Romance

3  

Ritu Sama

Romance

बूंदें

बूंदें

1 min
202

बूंदें कितनी भारी है आज बारिश की 

कितनी जानी पहचानी सी 

हथेली में कुछ मिनट खेल के 

फिर बह जाती है पानी सी 


देखती है बीते पल इनमें 

मुस्कुराती आखें मेरी कुछ नम 

गीली गीली बूंदें ये अनुरागी 

दिल को सेके मेरे मद्धम 


इनकी छम छम में छिपी है 

खनकती हँसी प्रिय तुम्हारी 

एक रोज़ जब एक टक निहारे हमने 

समस्त सहर एक साथ थी गुज़ारी 

 

खिड़की पे बैठी हूँ इन बूंदों को गिनते

सहस्त्र हैं ये जैसे है यादें तुम्हारी 

कल बारिश से कह दूँगी ना लायें अब यादें 

अब कल लाये संग दस्तक तुम्हारी


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance