आओ फिर से मेरे आँगन में
आओ फिर से मेरे आँगन में
आओ फ़िर से मेरे आँगन में
फूलों के बुलाने पे तो कभी मेरे निमंत्रण पे
हवा के झोंकों में तुम्हारी तबियत झलके
कुछ उम्मीद भरी और कुछ शिकायत लिए
दिल हर्षा दो मेरा फ़िर से अपने कहकहों से
लतीफ़े बेहद पुराने और यादें ताज़ी ताज़ी
गिला मुझसे भी करो कि मैं दिलचस्प बातें
क्यों नहीं करती
या फ़िर तुम भी सुनाओ बोरियत के वो
अनंत किस्से
वो आमने सामने बैठे कॉफ़ी पर लम्बे फ़लसफ़े
या फ़िर दुनिया के गर्क में जाने की शंकाएँ
मैं फ़िर इठला के तुम को पढ़ाऊँ अपनी नई
नज़्म की एक दो लाईने
और तुम कुछ झूठी और कुछ सच्ची वाहवाही
किये मुस्कुराते हुए
घड़ी घड़ी हाथ पर समय देख के भूल जाना,
वक़्त बहुत है अभी बातें कर ले ख़तम जल्दी जल्दी
और अचानक से फ़िर बिना पलटे रुखसत होना
कि मुड़ के देखोगे तो लम्हा थम ना जाए वही कहीं
एक बार फ़िर से वो लम्बी दोपहर आई है
आओ फ़िर से मेरे आँगन में
फ़िर से दोस्ती के लिए समय रुका है
ज़िन्दगी की दौड़ धूप से छुट्टी लिए