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प्रेम का संगीत

प्रेम का संगीत

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कितने भीगे से लम्हे

संग तुम्हारे गुज़रे

जब बादलों ने बजायी ताल

और बारिश ने गाया मल्हार


बड़े से पोखर हमारी तस्वीर लिए

झांका जब तो देखा जहां भर को इनमें

सर्द सी झड़ी हमारे आगमन से मचली कुछ

और फिर हवा ने छेड़ा टहनियों का झुरमुठ


एक संगीत है मेरे आँगन में आरम्भ

जब से आगमन हुए तुम्हारे कदम

मोहक है लय इस प्रेम की अद्भुत

सुरीली है ज़िन्दगी जब तुम हो सम्मुख


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