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Ritu Sama

Others

5.0  

Ritu Sama

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मेरी प्यारी माँ

मेरी प्यारी माँ

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तुम रहोगी क्या संग हमेशा

मेरे हर एक पहर की कहानी कहने

कभी शाबाशी बिखेरते हुए

और कभी चुनौती ललकारने 

पूछा था तुमने मुझसे इक दिन ये

नन्ही सी मुस्कान कोमल से चेहरे पे लिए


मैंने भी बदमाशी में हँसी दबाये

कहा...हाँ बिलकुल साये की तरह

कभी डराने तुम्हें

और कभी तुम्हारा साथ निभाए


और ज़मीन से परे जब

आकाश बुला लेगा तुम्हें

मोटी आँखों से टटोलते हुए

पूछा था तुमने

चंद वर्णों से बना यह सवाल

और हुई थी मैं निरुत्तर निढाल


तब हाथ थामा था तुमने मेरा

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मैं भी झट से पहुंच जाऊँगी

तुम्हारे पास

पर राह न गया मुझसे

कह डाला बिना सोचे मैंने

गर तब तक धरती पे बना लिया

होगा मैंने अपना आवास ?


पीछे ही रहूँगी सदा तुम्हारे मैं

मेरी प्यारी माँ

धरती आकाश स्वर्ग

या किसी भी जहाँ में

तुम्हें ओझल ना होने दूँगी

जैसे प्रकाश नहीं जाता दूर सूर्य से

और चाँद रहता है करीब धरा के


चिपकी रहूँगी तुमसे सदा

जैसे चिपकाया था तुमने मेरा

गोंद से इक टूटा खिलौना

सबसे प्यारा है वो मुझे आज भी

जैसे तुम हो सबसे ज़्यादा प्यारी

मेरी प्यारी सी माँ


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