रूठा पानी
रूठा पानी


नन्ही मुठ्ठियों की कहानी
बेमतलब कुछ और कुछ अल्हड़ रवानी
पानी के टपटपाने का संगीत
और उसपे छोटे पगों से छपछप का गीत
नन्ही हथेलियों पर गिरती बूंदे
बंद करके क़ैद कर ले उनको
सरल सी चाहत जैसे है सरल सा पानी
पानी का खिलौना और खेल सा पानी
अपने दरवाज़े पे मैं खड़ा निहारूँ
मेघ मल्हार को दूर से ही सिहारूँ
बचपन किंतु सोचता नहीं, निडर शैतानी
बस एक कदम और दोस्त बना पानी
जैसे हवा जैसे धरती जैसे श्वास असीम
सोचा था होगा, वैसे ही हमेशा पानी
बारिश होगी जीवन भर की मेहमान
जैसे सूरज चमकेगा वैसे ही बरसेगा पानी
अब देखता हूँ मासूम आँखों को
राह जोते अद्भुत सखा की
पर आसमान की गगरी है अब खाली
हवा बनी रूखी और रूठा इनसे पानी
कैसे हमने छल किया, छीना इनसे
हरा भरा बचपन और गीली मिट्टी की खुशबु
रंग बदल दिया धरती का,
मैला उदासीन सलेटी
ना ही अब खुश नुमा है नीला आसमान
ना ही है हरियाली और ना कहीं खेलता पानी