जैसे हवा जैसे धरती जैसे श्वास असीम सोचा था होगा, वैसे ही हमेशा पानी बारिश होगी जीवन भर की मेहम... जैसे हवा जैसे धरती जैसे श्वास असीम सोचा था होगा, वैसे ही हमेशा पानी बारिश ...
तब ही तुम कलम हो आलस न करो। तब ही तुम कलम हो आलस न करो।
माँ हमेशा तुम सा बनना चाहूँ सदा तुमसा सा मुस्कुराना चाहूँ। माँ हमेशा तुम सा बनना चाहूँ सदा तुमसा सा मुस्कुराना चाहूँ।
किसी दूसरे हादसे की तलाश में, बिना संवेदना के मुआवजा बाँटने। किसी दूसरे हादसे की तलाश में, बिना संवेदना के मुआवजा बाँटने।
सृष्टि माया को किसने जाना है... फिर यह दुनिया रंगीन है तो क्यों उदासीन रहना...? सृष्टि माया को किसने जाना है... फिर यह दुनिया रंगीन है तो क्यों उदासीन रहना...?
अज्ञात दिशा नाहि मंज़िल का पता कटीली राहों पर चलते जिए जा रही हूँ। अज्ञात दिशा नाहि मंज़िल का पता कटीली राहों पर चलते जिए जा रही हूँ।