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Neerja Sharma

Abstract

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Neerja Sharma

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माँ

माँ

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माँ हमेशा तुम सा बनना चाहा

तुम सा सदा मुस्कुराते रहना चाहा।


कितना काम करती थी तुम सदा

कभी चेहरे पर न आती थी शिकन।


हाऊस वाइफ होने के कारण सदा

घर का हर काम किया तुमने मन से।


हर चीज करीने से सजा रखना

तुम्हारी आदत रही सदा हसीन।


छोटा सा घर हमारा तीन कमरों का

सलीके से सजा रहता था माँ तुमसे।


न कभी ऊँँचे बोलते देखा तुमको

सुख-दुख सम भाव सह जाती तुम।


कमाने वाले एक केवल पापा थे

खानेवाले चार ,पर सब देती तुम।


पता नहीं कौन सी घुट्टी पिलाई थी तुमने

आज तक कभी लार नहीं टपकी कभी।


जो सुकून ,जो संतोष देखा था तुम्हारे चेहरे पर

वो आज भी मेरी हिम्मत बढ़ाता है हर पल।


कितनी भी परेशानी हो जीवन में मेरे

साया तुम्हारा कान में कहता ,'मैं हूँ ना'।


हैरान हूँ ,मैं जब परेशान होती हूँ कई बार

प्रभु से पहले कर लेती हूँ तुम्हे मन से याद।


आधी चिंता तुम दूर कर देती हो

आधी प्रभु के भेज देती हो दे आस।


माँ हमेशा तुम सा बनना चाहूँ

सदा तुमसा सा मुस्कुराना चाहूँ।


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