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Ramashankar Yadav

Abstract Romance Tragedy

4  

Ramashankar Yadav

Abstract Romance Tragedy

बताओ कहाँ थे!

बताओ कहाँ थे!

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नहीं चाहिए मुझको कोई दिलासा

बची ही नहीं तुमसे अब कोई आशा

बहुत खुश था मैं जब तुम बेनिशां थे

बताओ कहां थे! बताओ कहां थे! 


पतंगे की तरह ही जलता रहा मैं

तनहा ही जमाने से चलता रहा मैं

बहुत तुमको ढूंढा यहाँ न वहाँ थे!

बताओ कहां थे! बताओ कहां थे! 


गजब क्या जो तुम बेवफा हो गई

फितरत ही तुम्हारी जो है बेवफाई

ये भी ना समझा तुम क्युँ मेहरबां थे!

बताओ कहां थे! बताओ कहाँ थे!


था तुमको पता मैं हमेशा ही हारा

था झुठा दिया तुमने मुझको सहारा

जब तुमने छोड़ा बेनिशां कारवां थे!

बताओ कहां थे! बताओ कहाँ थे!


था रोया बहुत मैं बहुत गिड़गिड़िया

बदल जाओगे यूं समझ ही न पाया

न खाये रहम, बस तुम्हीं रहनुमा थे!

बताओ कहां थे! बताओ कहाँ थे!


न आई तरस तुमको हालत पे मेरी

न खाई तरस तुमने किस्मत पे मेरी

जो तोड़े सभी तुमने वादे जवां थे!

बताओ कहां थे! बताओ कहाँ थे!


तेरी चाहत ही मेरा कफन हो गई है

मुहब्बत कहीं अब दफन हो गई है

चले जाओ फिर से अब तक जहाँ थे

बताओ कहां थे! बताओ कहाँ थे!



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