दोस्ती
दोस्ती
शुक्र है शराब और दोस्ती का दोस्तों
हमसफर तो यहाँ मंजिलों में खो गए।
खुशियाँ तो हर कदम बेवफा है यहाँ
मेहरबाँ गम यहाँ कि हमसफर हो गए।
जिंदगी हर कदम पे आजमाइश यहाँ
दो कदम थे मुहाल पर कहाँ आ गए।
जख्म मिले हैं उन्हीं से संजोये जिन्हे
तुम तो जख्मों पे मरहम लगाने आ गए
ऐसे मौके भी थे बस लगा सब खतम
तुम कमिने ही थे मन को बहला गए।
मैं तो रोता रहा पर तुम साले हँसते रहे
हँसते हँसते ही मुझे भी हँसा के गए।
होती है दोस्ती क्या तुमसे सीखा यहाँ
तुम जरुरत हो मेरी ये सिखा के गए।
तुम हो मेरी तरह मुझे भी जरुरी बहुत
मुझसे कहा भी नहीं, और बता के गए।
जब भी कोई नहीं साथ होता है मेरे
तुम हमेशा ही रहोगे ये जता के गए।