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Ramashankar Yadav

Romance

4  

Ramashankar Yadav

Romance

एक फ़साना

एक फ़साना

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चलो फिर आज एक फ़साना बर्बाद हुआ 

तुमने थामी गैर बाहें मैं भी आजाद हुआ 

चलो फिर आज एक फ़साना बर्बाद हुआ 


वो मखमली सुबह वो रेशमी शामें 

हम थे चलते थाम जिन पे बस तेरी बाहें 

वो जहां लुटा अब ना पूछो क्या उसके बाद हुआ 

चलो फिर आज एक फ़साना बर्बाद हुआ 


फिर नया किस्सा तुम लिखोगे और के पहलू 

मैं भला फिर क्यूँ तन्हा रह के यादों से खेलूँ

ना मैं हूँ मजनूँ ना हूँ रांझा मैं तो अपवाद हुआ 

चलो फिर आज एक फ़साना बर्बाद हुआ 

तुमने थामी गैर बाहें मैं भी आजाद हुआ 


चलो फिर आज एक फ़साना बर्बाद हुआ 

तुमने थामी गैर बाहें मैं भी आजाद हुआ 



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