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Ragini Singh

Romance

3  

Ragini Singh

Romance

"बसंत मेरे मन के"

"बसंत मेरे मन के"

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तुम बसंत मेरे मन मंदिर के

क्यों ना मैं तुमसे मनुहार करूं 

पल-पल मेरा बसंत ही है

क्यों ना मैं प्रेम जुहार करूं

आ जाओ मन के उपवन में

फूलों से मैं नित श्रंगार करूं

मिल जाओ पानी में रंग से तुम

फागुन सी मैं फुहार करूं......


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