"बसंत मेरे मन के"
"बसंत मेरे मन के"
तुम बसंत मेरे मन मंदिर के
क्यों ना मैं तुमसे मनुहार करूं
पल-पल मेरा बसंत ही है
क्यों ना मैं प्रेम जुहार करूं
आ जाओ मन के उपवन में
फूलों से मैं नित श्रंगार करूं
मिल जाओ पानी में रंग से तुम
फागुन सी मैं फुहार करूं......

