STORYMIRROR

Ragini Singh

Inspirational

4  

Ragini Singh

Inspirational

धूप

धूप

1 min
223

झरोखे से छनकर आती हुई ये धूप

अपना सा कुछ गुनगुनाती हुई ये धूप


जैसे हो कुछ आधा सा आधा पूरा सा

ये अलहदा अहसास कराती हुयी ये धूप


अंतर्मन में कोलाहल सा मचाती हुई धूप

बाहर से शांत अनवरत चमचमाती हुई धूप


सांसों की तरह पल पल घटती जाती ये धूप

नया सवेरा लाने को हर शाम सो जाती धूप


जैसे हो जीवन का पूरा सार समझाती धूप

कुछ कानों में हमारे जैसे फुसफुती ये धूप


जी लो आज कल नहीं होगा समझाती धूप........


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational