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Ragini Singh

Romance

3  

Ragini Singh

Romance

"-ऐ-बसंत तुम जब आते हो"

"-ऐ-बसंत तुम जब आते हो"

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-ऐ-बसंत तुम जब-जब आते हो

 प्रियतम की तब, याद दिलाते हो

 मेरे मन की शांत, सरल सरिता में

लाखों भंवर झंझावत, भर जाते हो

कोरे कागज से, इस हृदय पटल में

उनकी यूं यादें, अंकित कर जाते हो

जोगनियां बिरहन के, इस जीवन की

तुम मुश्किल क्यों, नित और बढ़ाते हो

निस दिन बाट निहारूं उनकी यूं मैं  

जाकर उनको क्यों नहीं बताते हो

आते हो हर बरस अकेले यूं ही तुम

प्रियतम को साथ क्यों नहीं लाते हो......



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