बसन्त का आगमन
बसन्त का आगमन
मधुर पवन का झोंका आया
संग अपनी वो खुशबू लाया
कोयल कूक रही प्रभात...
लगी सुनाने कंठी तान.....
वृक्ष पर नव पल्लव छाए
नव कोंपल, नव रंग लाए
पुष्प सुगंध खूब महकाए
सूरज जमकर ज़मीं नहलाए
नदियां कलकल करती जाए
मन में निर्मल भाव जगाए
जाने कितने पंख लगाए
ख़्वाब हसीं सपनों में आए
पंछी गगन में शोर मचाए
जीवन में खुशहाली लाए
पेड़ों पर झूले लटकाए
बच्चे दिनभर धूम मचाए
मधुमक्खियां शहद बनाए
तितलियां मकरंद पी जाए
गीतों का आलम छा जाए
मस्ती का मोहक रस घुल जाए
आम की बौर सुहानी साजे
कुहू - कुहू का मधुर स्वर बाजे
अब शीत ऋतु का हुआ गमन
ऋतुराज का हुआ आगमन।