STORYMIRROR

PRAMOD KUMAR CHAUHAN

Children

4  

PRAMOD KUMAR CHAUHAN

Children

बस

बस

1 min
349

पी-पी करती बस जब चलती ।

सबको मंजिल तक पहुंचाती ।।

ठहर ठहर कर लेती सबको ।

अपनी मंजिल तक पहुंचाती ।।


पी पी करती बस जब चलती।।

सबको मंजिल तक पहुंचाती।।


चालक इसे है खूब चलाता ।

क्लीजर अपनी सीटी बजाता ।।

जब भी कोई हाथ हिलाये ।

चालक इसका ब्रेक लगाता ।।


पी पी करती बस जब चलती।।

सबको मंजिल तक पहुंचाती।।


कोई  खड़ा कोई  बैठता ।

टिकट लेने का जोर चलता ।।

छोटे बड़े सब नोट बढ़ाये ।

कंडक्टर  आवाज लगाता ।।


पी पी करती बस जब चलती।।

सबको मंजिल तक पहुंचाती।।


कंडक्टर लिख टिकट बढ़ाता ।

लेते  झपकी कोई ऊँघता।।

सरकम सरका खूब है चलती ।

कोई सरकता जिद्दी होता ।।


पी पी करती बस जब चलती।।

सबको मंजिल तक पहुंचाती।।  


मनोरंजन को गीत बजता ।

नियम  टूटे चालान कटता ।।

बस दौड़े तो पृथ्वी चलती ।

पर विज्ञान का नियम लगता ।।


पी पी करती बस जब चलती।।

सबको मंजिल तक पहुंचाती।।  



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children